माखन खावैं के खातिर कान्हा मइया का रिझाई रहे
ठुमुक- ठूमुक कै पैरन ते पायलिया अपनि बजाई रहे
कबहूं पीछे से लटकि जात,कबहूं नाच दिखाई रहे
मइया माखन दै देव मोहीं मइया-मइया चिल्लाई रहे
माखन खावैं के खातिर कान्हा मइया का रिझाई रहे
मन मोद भरी पुलकित मइया
कान्हा का गोद उठाई रही
कोमल कपोल का चूम चाटि हृदय से चिपकाई रही
कान्हा मइया के हृदय लागि माखन की आश लगाई रहे
मइया जब तक देवैं माखन अपने हाथन से खाई रहे
माखन खावैं के खातिर कान्हा मइया का रिझाई रहे
कान्हा की ई माखन लीला सब स्वर्ग से देव निहारि रहे
प्रमुदित भये सब देवी देवता स्वर्ग से पुष्प बरसाई रहे
धन्य भईं जसुदा मइया कान्हा जैसा जो पुत्र रहे
कान्हा भी माखन खावत हैं आपन मुख मा लपटाई रहे
माखन खावैं के खातिर कान्हा मइया का रिझाई रहे
मथुरा की गोपियां मटकिन मा आपन माखन लटकाए रहीं
कान्हा मटकी ना छुई पावैं दूरि सिकाहरे टांगि रहीं
कान्हा ते माखन ना बचि पावा पीठी चढ़ि मटकी फोड़ि रहे
तोड़ि सिकाहरे का कान्हा प्रेम ते माखन खाई रहे
माखन खावैं के खातिर कान्हा मइया का रिझाई रहे
स्वरचित:+ विद्या शंकर अवस्थी पथिक,कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Sep-2022 08:39 PM
Wahhh Bahut hi सुन्दर सृजन और अनुपम भाव
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Renu
08-Sep-2022 08:44 PM
Nice
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आँचल सोनी 'हिया'
07-Sep-2022 10:14 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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